Dilawar Singh

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कुछ अनकही बातें

सुकून तलाशने निकाले थे घर से 

हालाते जहां देखकर
 फिर से कदम घर को हो लिए 
जो चैन और सुकून घर में मिला
वो इस चकाचौंध भरी दुनिया में कहां 
यहाँ अपनों को ढूंढते रह गए ।

इंसान को कितना ही अच्छा क्यों ना मिल जाये 
पर फिर भी वो संतुष्ट नहीं हो पाता 
इसलिए और अधिक पाने की चाह में भटकता ही रहता है
ना जाने यह क्या पाना चाहता है
इसी दौड़ में एक रोज जिंदगी थम जाती है 
पर इसकी चाहते हैं जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेती
इंसान को अपने वजूद के लिए कहीं ना कहीं तो ठहरना पड़ेगा
 जैसे एक वृक्ष जमीन से जुड़कर स्थिरता लिए हुए
 अपनी शाखोंओ को घना और मजबूत करता है
 जड़ों को मजबूती से जमीन में जमा देता है
 इसी तरह मनुष्य को भी अपनी योग्यता के अनुसार लक्ष्य चुनकर 
उसमें महारत हासिल करनी चाहिए 
भटकाव में उसे कुछ हासिल नहीं होगा 
यदि आपने समय रहते निर्णय नहीं लिया तो 
आपका समय मुट्ठी से रेत की तरह फिसल जाएगा।

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6 Comments

खूबसूरत भाव

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kashish

12-Dec-2023 04:12 PM

Amazing

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Sushi saxena

11-Dec-2023 02:12 PM

V nice

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